Book Title: Thulibhaddni Shilveli
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 49
________________ and । - - ( ४८ ) संभावो मोहना,मविहारी तुमवेस. रायभुणी ऋषीने उहे भरिउरो प्रवेशागा घन्य हिवस. घडी माननी, धन्य धन्य मुन अवतार वालम मुनघरे साविया, सवा उइंसंसार एप पूरवतीभाया थडी,थून दिलरब्लवनप्राएपित्नहीपोश्या डहे, पीण तुमे घर मंडाए पशा पढायत्रीछापूर्वसी देशीए महाराम निभाषागे भीगोरे, घहारो भान्टनोरेगा हुं। पाभी पुएय संयोग, भेषो महाराबनोशामे मांजए।प्राणनाथना पगलांथातां,वागा माहामांगएं नायवापासुंरेपहपल्या भांहेन समाने, वस्त मंगर नई वारे पापा उस देवी उपा अधी, वागा। भोतीयो भेह वूगरे । माह भाहारे मांग ए. मामो भोयरे, पुएये पूर्वज तूहगराधन - - - - - Jain Edufationa International For Personal and Private Use Only www.jainibrary.org

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