Book Title: Thulibhaddni Shilveli
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 51
________________ - - - ( ५० ) रहएी, डिमलांजे छम वयएएउहे श्या सुए। पीडसा, तुंमुन छवन प्राए प्रीतहलें हवे सीपीयें, वपी वाघे तनवान पशाथूखिल उहे अश्या सुयो, ममें निरसोलीसाधारहीशुयोमासंतुमघरे,पए भनमें निराजाघ 3॥श्याउहे तुभवयए। ऐ,हंजविहारी नामहोपपधारो भोहा ना,लिम पूरण सुष पाणं साथूखिल अश्याने उहे, सागररान हाथ मुबथीभ लगी तुंरहे, मृगवाघणस्यो साथ एघावा घएी नहीं रे वसा, हुंछु अजपा जाप एमेहेर उ भुन परें, पूर्व प्रीन संमाया बहामनपायें समपासांउटयां,रगति नी घतारण सिंहिएी लय मेऊन लवे,ल व लवंतुब लयनारपणा थूषिलर ऋषी तवम उके, सुगमेश्या मुल वात पिया । - + - Jain Edulationa International For Personal and Private Use Only www.jainWibrary.org

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