Book Title: Thulibhaddni Shilveli
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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उद्यु,थूलिलरमहारो लात पते अगंहुं छिम हुं, सुपोनराय सवयत एपशा तेभारे तुबने हुं,ल्योगमा शिरहार पहुंगरप्रन्नतो, तुंलीला सहेर लंडारण पातेसांलपीयूलिलरहे, सुपो हो। श्रीनंशयाएमावू भावोयी एवे, पहुंअभ सुषघयाचाराबसलाथी जीने,मा विभरिन्नभण्भाश्शमा मुनिवर भल्या, संन लूति विजयछणेनाभएपय पत्रए प्रक्षि पाहेछन, उरीमालोय वियारराथूसिलरशुश्ने वीनवे,संयमद्यो सुजारापापा शुश् वियारे यित्तभां, एलुमा उर्मी नेहा वली पाएगी प्रतिमोघवा,थूलिलरशुरानो गहाणायोग्य वन्नएी जरी, ३ऊन हे नवें भाव याज्ञा लेण्डुटुमनी,साघो वंछित राजापटप घरे भावी सिरि
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