Book Title: Thulibhaddni Shilveli
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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( R) लीगया, उहे पंडितशालामापो मन नने हुवे तुभेले तूझोलूपालपपरा हे तोउहे सभापशु, व्यसहीतमधन खाणा पंडित उहे पूरोलेणं,श्योवयन नमतलांजाप हाना उरतां तेहुने,रीशयटी यूलिलाहवढवाहूमो धन एं, पंडित होये क्षुरराज्यातेणे हे हो। उरी, मावीउही मुबवात नवी नएयु
भूती, नेरशेतनधातानानंहराया नणे नहीं, हे शासउरे एनहरायम री उरी, सिरियो पाठ वेशाला पंडित नाशिने गयो, मेहेली महारो देश राज्या ययाव्युब्नध्य, विए मेहतें डिशो नरेश पप तव में सिरियाने उह्यु,खीयो अमा शिरघरमान पछी वत्स ताहेरी, ओछन न सोपेडारण पावली सिरिये भुबने,
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