Book Title: Thulibhaddni Shilveli
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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(४१ ) प्लांतें उरीने गँयुंजमशु, वागा पए नहीं | भेटुंछेडुंगामेभउरताने पीण तुभेयालो, तोभुनने साथें तेडोरेगनवागाजाओसऊरीने थूपिलरत्यांथी, वागामाव्या मनमा यहरेण लूपने लेटी संयम पेशे, ध्यरतन पायवंटेरे। नवागापा। । हाथूिखिलरहेसुगोलूपति, छिमभास्यो मुनतात. भुबने तेडु मोडल्यु। तेलांजोमवघात पालूपउहेथूसिलरने, वांउ नही मुन्न या एंडित मेहेशांतरी, मुन ली नान्यो सोयाशा उविः | त्त अव्य महारा उद्या, मोसंगघीसार एतव तूमेहुंतेहने, घालापहनार । गाभेता लगी में मोऽल्यो, सेवा लामा पसाय लोगन लतिलपी उरी,पए नहींख्य देवाय एनिश पांय. वो
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