Book Title: Thulibhaddni Shilveli
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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यड़ ब्लस सुरिंघाशासन नायड शिवगति बहुवीर निसंघाशानंबूद्दीपना लरतभा, पाडलीपुर नृपनंघाशउडास भेंतोतसप्रिया, साछल हे सुजउंघाशा नागरिन्याति शिरोमणी, नव तेहने संतानपासात सुतासु तोय तस, वंश वधारएावान ।। भूषि लर लोणी लभर, भुनिवरभां पए। सिंहा वेश्या विसुध्धो ते सही, नगएो रातने हीह माङनऊ रड तेो वावश्या, साडी जारह झेडी । वरश जार वोली गया, पएा छेसन राज्यो छोडी ॥याशडडास मेंहे ते तिएा समे, अविश्वर हुहुथ्यो ङोय ॥ते मारे भर्खु पड्यु ते ब्लणे सहुझेय ।। ।। सिरियो जंधव ति एो समय, पामी नृप जाहेश॥ धूमिल ने तेडवा, खाव्यो मंदिर वेश ॥जा हुडीगतते हनी सालसी, यूबिल र उहे सुएगो नारि॥
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