Book Title: Thulibhaddni Shilveli
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 39
________________ - - - - - ( 36 ) शुलविन्यमहंत, नगजिनमत थिरता। वासीरेएचा तासविनयेमे भरागार,शा स्त्रतपीसाणे ध्यायोरेशसहसपटारसी संगनापार,टालमटार अरीगायोरेपपा अठारशे जासशुटिपोष, पारस शुश्वारे ध्याछा राबनगर मुनिवरनिषि,शिय. लवेली प्रेमे गागाधर्म मोछव समें गाशे बेह,नरनारीसुराशेलएशेराहे उवि वीरविनय नित्यतेह,शुयि विभलाऊ भला वरशेरेपणा ति श्रीवैराग्यटीप: भनसीपअद्यनेछ गुणननितोद्भव लाव पोखिरंतः कृतषिः शीयरवेषिः श्री थूलिलदस्य परिपूर्ण ॥ अथश्रीथूसिलसलनोनवरसोप्रा हाासजसंपति यसरपान - Jain Educjona International For Personal and Private Use Only www.jain Ibrary.org

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