Book Title: Thulibhaddni Shilveli
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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( ४० )
खाज्ञान्ने खापो तुभे, तो नर्घ खावुं खेड
वाशाना
पाढाल पहेली ॥ सासू पूछेरे बहूखरवात, भाला डिहां छेरे ॥ खेहेशी ॥ मने भ हारा जापना समन्ने, नवा हुं नहीं हेडींरेगा तुनथडी घडी खेड, जलगी नहीं रहुरे !! मे खांडणी ॥ नंदरायन्ने खवंशे पोतें, वासा महारा तेहुने तीत्तर जमेंहेशुंरे मीठडा महारा के इश्मावशी, तेमाथे यढावीने सेशुंरेशान्नवाणाशामनेगातुभगा पाडलीपुरनी शेरीयें लभतां, वासा महारा रत्नचिंतामणि साधुरे पाला पुरुषमें तुन ने हीठो, तुभशुं ही बड़े जांघ्युरे पालवाणा शासहेबे ताहारी थूङ पड़े बिहां, वागा तिहां हुंसोड़ी रेरे ॥ मालवनल पार्छु वालो, श्रीनंदरायनुं तेरे ॥ ब्लवाणा आ
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