Book Title: Thulibhaddni Shilveli Author(s): Shravak Bhimsinh Manek Publisher: Shravak Bhimsinh Manek View full book textPage 8
________________ - खी लामगा नहीं ओनी हुंमोशीमा सीछामगासावशे ब्ने अवनी शिला। भगातेहुने पण अत्तरष्टश छामगारा भरता ब्ने तुमे हिंडोलामातोभुझने साथेंतेडोलाभगानविछोडंतुमयो डेडो लाभगापूरवप्रीने रसरेडोछामनाना वनपरतां अभरश्वीडंल मनाया तां खाशुंभीर्युलाभाईजरा तिहार मांडेलाएभगापराने उरथी नवि. छाडे लाभना चातिभतुमसभहीशेपर योलमालाछपवीनो ब्नयोलाम० एतुमे भोहुनीभत्रने साध्यो लामगातुम शुभुन प्रेमतेवाध्योछामगाहारसीयाधु। हुरंगरातीलाामगापीयु विरहें शटे छातीला रामगामाणली पालवासीलाभगाई तुमने मनरवातीष्ठामगाणाथूविला - - । । Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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