Book Title: Thulibhaddni Shilveli
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 34
________________ - - ( 33 ) नावीयो नागरनेयजलयढ्योवरघोड़े। रि,घेडेरे आगेघसउहावीयोसिद्धिनो वेशमानविसावीमोपचासंगाव्यगावप्प भगाभारने नययांनारी तिम भातोरे, लातनेंतात हुनासंतानमांगलूभऽसहान कुरियोथईने मेरे,सुगन्नेरेसानेजेश्याअनभांजेलोरोयो ओई निरन नमांपासंगाव्यगावगाणगायीपू वघर पोहतानेसरसोरे,पूरव श्रुत शथडी सलारता एयरए घर घरवानीता। सनशक्तिरे, विषयाइसयित्तेसुजने से वतारामनुगामी अवधिनाए। वताह एसंपन्यगावणामगा सिंगनंतां धरियांसमन उरीयारे,होसीनो शन्नशुगवि एसंबभीएनवविधळवनी हिंसानिध्य जीधीरे, वासुदेवयीयरलवमी - - - - Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jain brary.org

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