Book Title: Thulibhaddni Shilveli
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 33
________________ (3२ ) पद्देशीयाना में नही९मेतोसेशि जरा संसारे वसीमोराताएगीयो एव्यः वहारे रसीयो न्नतेवाएीयोगवशडानो वासीखाशीपाएीयोएसविनाशी नीशशि घनन्नपीयोगानेनापीय नयाभावेश जनावरेपभिथ्यात्वें पूरिरात्यसंघारियो सूक्ष्म बाहर पन्न अपन्न निगोहरे,नाटभालूस्योभोहेंभा रियो नागनी नहीडीभेडे मारीयोपशप ||संगाव्यगावगाजणाविशस्यि पंपिंथी थयो अनुउभे रे, रूपचनी होलागी वली सोलागीयो एमास उपविराम उपलूपासोरे,नविवेठी पंडित रसनो राशीयो परभएीने रंगेओ हिनसिडि लागीयो। एसंगाव्यगावकामगा ननरंजनाप शेरनेलरीयोरे,लोगीने नेणीवेशन - Jain Editiona International For Personal and Private Use Only www.jaing forary.org

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