Book Title: Thulibhaddni Shilveli
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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(30) सोरसन्नेर घने हुहुहरसीलानीसा,ओजीसासहजरवनेहराबहुत पीपा सी मेघनखाशी, सीवनवासीवेसीयांपए प्रेमतपरिसरेसायाख्या,परा)लिलसनवि पडीयांगणाहुटहुड गिरिउमछेन,ज्य ताउी भारहेछ।वैरीनी परेंगेवरसालो, विरहीने घ{सारे छाना घपभपभाव डिघोंगरा,उंसतापवीणा समरीयताये।
तितथे तान नयूछे, भूरे नेत सहेत परीटाररसतक्षणतर उंतप्त लूतल्या यसयतउरखेतीशीतरीत भमोहन विनोहें, उस घडी हेतीपणासस उससा ढसउंती जया,मय ढसाया भेण यापळवनपरीनेहीपाया,जयनवहन उरती मायापापीतमप्रेमीबात लिया रो,लमन लभन रोतो लमरोएघाउतना
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