Book Title: Thulibhaddni Shilveli
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 29
________________ - । - ( २८ । में प्रत्यक्षीईंगाणाशुंडहीये ननाए। सोउने,षए साग्रही साघुना तश्शे ड, उयुं वीतराशेगावीतरागशुंनए राग,रंगनीवातेरैमावोहेमाद्दुराशनोखा गपूनमनी रातेंरेशाशएगार तल मएगार, ममें निलीरोए मवाष्पीश्शु विहार,भेषी तनेडीली।।3।वालाजा र वरस बगैठेठ, पाउपडावीरेएमिन प्रो घरपी हेड, भेश्य यढावीरेषा उतालीने दृष्टांत, नर लव लाघोरे थर्ण पय भाव्रतवंत, मेश्परेंवाघोरेगा । नूयो नाटडब्लेमेऽवार, नया विशीरे|| एपछे संनभन्ने सार, विचार विभाशी रिपपाशुलवीर सहेली बहुतर, नाटङ नयगांरे एडजेउव्ह गाथा जंतर जे. सुनां वयपांरे ॥ १७॥ | - -- - Jain Editiona International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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