Book Title: Thulibhaddni Shilveli
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
View full book text
________________
( २७ ) समयानासंसार मसार,गयोव्रत पांजेरेएसंसार
मांऊसार, वस्सल नारीरेणंडे तेहुने घिःसर,गया लवहारीरेण्या ध्याननी ताली लगाणी नीशान यठायारे पशीषसाथें डीघी सगाई तष्ठलवभाधारणपापवास्ता मेष्टिवस रीसाएी, हुती तुम साथेरेपछिमनोधावी | यीरताएी, तपोय हाय रे हासुरापाने लवसोऊ,शुशुंनउरतांरेपउिंपाऊ। खाशी खोऊ,पछे जघरतारणाम ने विरह तीक्षएन्नय,वरससभाएीरा पघपी भोहतएीस्टबाय, वसोश्योपा. एरेपटाताहरे भोहननगरसोलें, न्नेशन छूटेंरेगभन्नरी तपनी तोते शीउँनत्रूटेरे पस्नानागरनी नियनन त, जोसे मीठंशाअल्लभांउपटनीघात,
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainell rary.org
Page Navigation
1 ... 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90