Book Title: Thulibhaddni Shilveli
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 17
________________ - - (१६) उहेश्याने, तथ्यपथ्यमित वापीछरो पाएी विना शीपासउरेछे, लोगन विधान टीनएी पूगारगाणठहाथ तुंमद गीरहिने, सियाहेतेउरहे छानारन उनवनवरंगे उन्हे,वसी शणगारने घरने परगाहापूनाराषट्रस लोहन तुमघर वोहरी, सनम अर्थ माशुलपमेम परहीने रह्या योभासु, ओश्याउरे हवे हांसुरु राय पूगारगाविए पूण्यासंनभ माय रीमो, पण तेव्रत नदि परिणछरे।तो मभघर माव्याछो पाछा, तुमव्रत ममने रवीणरगाहपूरा भार वरस प्रेमें विन सस्या पए, वो अंतर न घज्योछरोप ब्नेगारलतल मुन साथे, रंगहतो ते राजोराछा पूगारुणानिर्याली निर्मोही पणा शु, सुराजेश्या मरहीशंछरोग योग - - - Jain Edultationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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