Book Title: Thulibhaddni Shilveli
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 19
________________ ( १८ ) टीगीगा भने मोटी प्रेमनीघाटीगामी पाठयायोभासुंने यित्रशालीराापीगातुम लाग्यमपीसैटअपीराराप्रीनारसप्रेमहीन से हियोगाप्रीला तइएी तनसेखडीसी योरेगीगापराघरी प्रेम पीतांजर पेहरो राराप्रीनारसीपडयोलोघेहरोरोगप्रीप मुझजाग्रहीने सीव्हेरेप्रीगाउरीप्रेभने अंतरजीमेशातीगाहाप्रेमपूरणश्योहित गांडोरेप्रीगन्ने सेनेशेषडीसाठोरा प्रीगारमनीगछसुनीसन्याशापागासवडी, ज्यांशीज्यालगन्तप्रीयाणालिमाने यट्याछो नसीयारेण्प्रीनारामारसकुरान वियसीयाशाप्रीगाऊिबेसोउपासारा भीगासमसामयामोशीमावासाप्रीत्तदा परहीमोसावे.उरन्नेडीशाप्रीनाहीजेश्याम हभयोडीशाप्रीनाशुलवीर क्यनमुनिजोले - Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jain library.org

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