Book Title: Thulibhaddni Shilveli
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 15
________________ । ( १४ ) मेसी पवागा पासात्मे टिन शय्यादा खीरे,धीपघूप सुमने टासीरे,डीपुंशयनते पासुंबासी पवागापामाइमेजोठी परलए तेरे, संलास्यो पीण वरसातेरे, निशिनाथ नयो घणुराते एवानाशा नवमे निघटिस नसाईरे, निरंशपतंगरयाईरे, सीनान गर नतिसगाछीवाना शमे हेवल बहुभान्यारे,सुनावलीयें ब्लेवाएारे,म मेघा घणा मेंछाना एवागागाभण्यारशे मंशनमावीरे, नेछवाट वातायने जा वीरे, मनेाम नटुवे नयावी वाणघाण लारस हिन मारणेघाडीरे, घेरावीय ही उर नाजीर, सुपनातर पीजीडेगाना डी वागापा माळ तेरसनोटिन मीठो रे,प्रापळवन नयरों धगेरे,मान अमृत तस्स. घन वूठोएवा गापायौटशनि - - Jain Edultiona International For Personal and Private Use Only www.jair library.org

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