Book Title: Thulibhaddni Shilveli
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

View full book text
Previous | Next

Page 7
________________ ( ६ ) सीज सही नरनारायनीरे, पोहोतो सरीयो त्यांहे।छेगा बंधवने प्रणामी उहेरे, तेडेनरिह पीच्छाहें। छेणापासांलली डोश्याने उहेरे, बर्ध खावुं जेड वारा छेना हवे वसतुं वेश्या उहेरे, सुराशुल वीरकुमार ॥ छेषणाहु ढाल योथी । तमें वसुदेव हेवडीनानयाल, लाल साडडडा । खेदेशी ताजेश्या वेश्या उहे रागील, मनोहर मन गमता ॥ तिहां नश्यो पीडी सोलागील, मनोहर मन गमता । नहीं न्नवायुं निरघारन्ता मनोणा खापो श्यो नृप हरबारकाभना शारती यतुरा यित्त यासो लाभणालजो मुझने हेन्ने गासो लाभणामेवडीशी उरखी जासो कामना खेहपुरषने पाछो वासों कामनाशा प्रीतम प्यारा तुम टा www.jaine brary.org Jain Educationa International For Personal and Private Use Only -

Loading...

Page Navigation
1 ... 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 ... 90