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होंगे। उसने रो-रोकर घर ऊँचा उठा लिया । अन्त में हारकर रमेश ने यात्रा एक सप्ताह के लिए स्थगित कर ली।
पर आश्चर्य कि उसी दिन वह वायुयान 'श' हो गया, और उसमें से एक भी सवार बच न सका। कितनी प्रसन्नता, आश्चर्य और आह्लाद हुआ होगा उस उपाध्याय-दम्पति को ! ___ इस प्रकार के भविष्यसूचक स्वप्नों के गम्भीर अध्ययन एवं परीक्षण के लिए "भारतीय ज्योतिष अध्ययन अनुसन्धान केन्द्र" (सी/एफ १४ हाईकोर्ट कॉलोनी, जोधपुर, राजस्थान) के अन्तर्गत "सोसाइटी फॉर साइंटीफिकल रिसर्च ऑफ ड्रीम्स' शाखा खोली गयी, जिसमें भविष्यसूचक स्वप्नों की जानकारी इकट्ठी करना, उनके तथ्यातथ्य का पता लगाना, उनका वर्गीकरण एवं विश्लेषण करना, तथा उन्हें वैज्ञानिक कसौटी पर कसकर सत्यासत्य का पता लगाना उद्देश्य रखा गया। इस शाखा के कार्यकर्ताओं ने काफी अच्छा कार्य किया। हजारों स्वप्नों का विवरण इकट्ठा किया । आज भी देश के प्रत्येक भाग से इससे सम्बन्धित पत्र आते हैं, जिनमें स्वप्न, स्वप्नविवरण, स्वप्न आने की तारीख व समय व स्वप्नानुसार घटित घटना के समय आदि का विवरण रहता है। __इस प्रकार के प्राप्तः विवरणों से कई रोचक तथ्य सामने आये हैं। एक-दो उदाहरण द्रष्टव्य हैं__बम्बई की एक प्रातः । मैं एक सज्जन व्यक्ति के घर ठहरा था। वे घुड़दौड़, डर्बी, लॉटरी आदि के सख्त खिलाफ हैं और इसपर व्यय करना परले दर्जे की बेवकूफी और फिजूलखर्ची समझते हैं।
प्रातः लगभग सात बजे उठे । मैं सन्ध्योपासनादि से निवृत्त हुआ ही था कि मेरे पास आकर बोले-पंडितजी ! आज मैंने स्वप्न में नोटों से लदे ऊँट देखे, जो संख्या में छः थे, और सबके गले में उनकी गिनती के अंक-लगे तख्ते लटक रहे थे । ऊँटों के गले में लगे तख्तों पर क्रम इस प्रकार था; और उसने पहले ऊँट का नम्बर, फिर दूसरे, इस प्रकार छहों ऊँटों पर लगे नम्बर सुना दिये।
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