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है। जिस व्यक्ति की साधना इतनी उच्च होती है कि वह जाग्रतावस्था में भी इस सूक्ष्माकार से सम्पर्क स्थापित कर ले, वह भविष्यद्रष्टा अथवा योगी कहलाता है और भूत, वर्तमान, भविष्य को जान सकता है। अन्यथा जब व्यक्ति निद्रावस्था में होता है, तब उसका व्यक्तित्व स्वयं सूक्ष्माकार में होकर उन आकारों से सम्पर्क स्थापित करता है। यही सम्पर्क स्वप्न का माध्यम है अथवा स्वप्न आने का आधार है।
फलस्वरूप जब हमारे व्यक्तित्व का सूक्ष्माकार, भविष्य के सूक्ष्माकार से सम्पर्क स्थापित करता है तो उसका भविष्य स्वप्न के माध्यम से स्पष्ट हो जाता है ।
इस सम्बन्ध में पाश्चात्य देशों में भी काफी खोज हुई है, तथा मात्र स्वप्न-भविष्य एवं स्वप्न-रहस्य को समझने के लिए कई संस्थाएँ खुली हैं । अमेरिका, ब्रिटेन, रूस आदि देशों में इस प्रकार के व्यापक परीक्षण हुए हैं । स्वप्न-सिद्धान्त के प्रमुख अधिकारी विद्वान् जिमरिचर्ड से मिलने और घंटों इसके बारे में विचार-विमर्श करने का अवसर मुझे मिला है । उनके अनुसार वायुमंडल में कोई ‘ऐक्स्ट्रा सेन्सुअरी परसेप्सन' (ई० एस० पी०) नामक शक्ति है, जो मनुष्य के भीतर गुप्त मार्ग से प्रवेश करती है, एवं उसे भविष्य का बोध करा
देती है।
____उनके कहने का तात्पर्य यह है कि मानव की पाँच ज्ञानेन्द्रियों के अतिरिक्त भी कोई एक ऐसा मार्ग है, जिससे यह शक्ति शरीर में प्रवेश करती है, तथा मस्तिष्क से टकराती है। यह शक्ति मूल रूप से भविष्यसूचक है, अतः भविष्य-सम्बन्धी घटनाएँ स्वप्नों के माध्यम से आसानी से ज्ञात हो जाती हैं।
. न्यूयॉर्क की प्रसिद्ध 'स्वप्न प्रयोगशाला' में एक परीक्षण किया गया । एक व्यक्ति को अन्य किसी कमरे में सुला दिया गया, तथा उसके मस्तिष्क पर (सिर पर) 'इलेक्ट्रो एन्सैफालोग्राफ' लगा दिया गया। इस यन्त्र से यह ज्ञात हो जाता है कि क्या व्यक्ति गहरी नींद