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अशुभ स्वप्न-परिहार (१) अशुभ स्वप्न आने पर व्यक्ति को चाहिए कि वह जगने
पर पुनः सो जाय, और एक बार पुनः नींद ले ले । (२) सूर्योदय में जगने पर भी यदि दुःस्वप्न स्मरण हो तो पुनः
सोने और नींद लेने में कोई आपत्ति नहीं है। (३) अशुभ स्वप्न को ज्यादा-से-ज्यादा लोगों को, परिचितों
एवं मित्रों को सुनाना चाहिए। (४) किसी योग्य ब्राह्मण, गुरु या परिवार के वृद्ध को दुःस्वप्न
सुनाकर शुभाशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए । (५) दुःस्वप्न देख लेने पर प्रातः शुद्ध जल से स्नान कर स्वस्ति
वाचन अथवा महामृत्युंजय जप कराना चाहिए । (६) गायों को घास, पक्षियों को दाना अपने हाथों से डालना
चाहिए। (७) रामायण या महाभारत का श्रवण करना चाहिए। (८) प्रातः उठकर घृततिल से १०८ आहुतियाँ गायत्री मन्त्र
से देनी चाहिए। (६) घर में मंगल वाद्य, मंगलध्वनि या प्रभुकीर्तन करना या
कराना चाहिए। विशेष ___कोई भी अशुभ स्वप्न आने पर तुरन्त क्या-क्या कार्य करने से उसकी अशुद्धता धूमिल अथवा नष्ट हो जाती है, इसका संक्षेप में वर्णन किया है; पर इसके साथ यदि शुभ स्वप्न आ जाय, और शुभस्वप्न देखने के बाद तुरन्त आँख खुल जाय, तो उस व्यक्ति को चाहिए कि वह पुनः शयन न करे, अपितु शेष रात्रि जागकर व्यतीत कर देनी चाहिए । इस सम्बन्ध में एक रोचक, पर कसौटी पर पूर्ण खरा उतरा एक अनुभव है, जो पाठकों की जिज्ञासा-तृप्ति हेतु यहाँ देने का लोभ संवरण नहीं कर सकता।
राजस्थान के एक सामान्य व्यक्ति बिना व्यापार-व्यवसाय के