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आँख खुल जाती है।
जगते ही उसके सामने मशीन होती है, और उसे विचार आता है कि सुई के सिर में छेद किया जाना चाहिए। उसने ऐसा ही किया, और वह आश्चर्यजनक रूप से अपने कार्य में सफल रहा ।
गत भारत-पाक युद्ध के बाद की बात है । एक सैन्य अधिकारी मेरे घर पधारे, बोले-पंडितजी! क्या स्वप्न भी इस कदर संच होते हैं ?
मैंने पूछा-क्यों ? क्या कोई ऐसा स्वप्न आपने देखा है, जो आपके लिए सहायक रहा ?
वह बोले--मैं इन्हीं दिनों का किस्सा सुनाता हूँ । मैं पश्चिमी सैक्टर में एक महत्त्वपूर्ण स्थान पर तैनात था। युद्ध के बीच कुछ ही क्षणों की झपकी में मैंने देखा कि मेरे एक ओर पाकिस्तानी टुकड़ी धीरे-धीरे सावधानी से आगे बढ़ रही है, तथा वह हमारी जलव्यवस्था एवं सप्लाई काट डालने का उद्देश्य रखती है...
मेरी आँख खुल गईं । उस दिशा की ओर दूसरी ओर से सम्पर्क साधा तो ऐसी कोई बात नजर नहीं आई । फिर भी मैंने स्वप्न को परखने के लिए उस ओर कार्यवाही हेतु सचेत करने के साथ-साथ आक्रमणात्मक कार्यवाही का आदेश दे दिया। ___पंडितजी ! आप विश्वास नहीं करेंगे, जहाँ एक चिड़िया का पूत होने का गुमान नहीं था, वहाँ तीन सौ से अधिक पाक सैनिक अन्तिम आक्रमण की तैयारी किये बैठे थे, पर हमारे आकस्मिक एवं अप्रत्याशित हमले से वे भौंचक्के ही नहीं रह गये, सुध-बुध भी भुला बैठे, और इस प्रकार उस दो क्षण के स्वप्न ने मेरी सम्भावित कठिनाइयों को आसानियों में बदल दिया।
लगभग सालभर पहले की बात है, एक इंजीनियर मिस्टर...मेरे पास आये, बदहवास-से, चेहरे का रंग उड़ा हुआ, परेशान, दुःखी। आते ही बोले-पंडितजी! मेरे लड़के का एक्सीडेंट हो गया क्या?
उनका लड़का अमेरिका में पढ़ रहा था, अत्यन्त मेधावी .. योग्य "होनहार...