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अंक
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लेख एकता की ओर एक कदम पर्युषण पर्व का पावन सन्देश क्षमा का आदर्श क्षमा पहला धर्म है जैन एकता क्षमा का पर्व जैन त्यागी वर्ग के सामने एक विकट समस्या अपरिग्रहवाद का यह उपहास क्यों ? इतिहास बोलता है पर्व की आराधना आत्मशुद्धि और साधना का पर्व जीवन में अनेकान्त दिगम्बर आर्या जिनमती की मूर्ति राम की क्षमायाचना सरस्वती का मंदिर युद्ध और उसके साधनों को खतम करो युवक के सामने एक प्रश्न चिन्ह साहित्य भवन के निर्माण का शुभारंभ
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक
वर्ष श्री रिषभदास रांका श्री अगरचन्द नाहटा पं० रत्न श्री ज्ञानमुनि जी डॉ० कोमलचन्द जैन
१० श्री भंवरमल सिघी
१० मुनि श्री समदर्शी जी पं० बेचरदास जी दोशी पं० श्री मृगेन्द्रमुनि 'वैनतेय' श्री सत्यदेव विद्यालंकार उपाध्याय अमरमनि श्री माईदयाल जैन श्री मनोहर मुनि जी
१० श्री अगरचन्द नाहटा पं० मुनि श्री कन्हैयालाल जी 'कमल' १० डॉ० वासुदेवशरण अग्रवाल ११ निकिता त्रुश्चेव
११ श्री अशोक ढड्डा सतीश कुमार
ई० सन् १९५९ १९५९ १९५९ १९५९ १९५९ १९५९ १९५९ १९५९ १९५९ १९५९ १९५९ १९५९ १९५९ १९५९ १९५९ १९५९ १९५९ १९५९
पृष्ठ । २२-२४ २५-२६ २९-३१ ३२-३४ ३५-३७ ३८-३९ ४०-४५ ८-१० ११-१६ १७-१९ २०-२१ २६-२८ ३१-३२ ३३-३४ ५-९ १३-१८ २१-२२ २४-२७
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