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श्रमण : अतीत के झरोखे में
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२२३ पृष्ठ ।
अंक
ई० सन्
११-१२
१९५१
५७-५९
१९७१ १९७०
३-१२ ८-१२
७-९
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१९९२ १९७७
९-१३ ३-११
लेख ताजमल बोथरा के मूल में भूल
तेज सिंह गौड़ . उज्जयिनी और जैनधर्म - मांडव : एक प्राचीन तीर्थ दयानन्द भार्गव वैदिक साहित्य में जैनपरम्परा समयसार : आचार-मीमांसा दरबारीलाल कोठिया स्याद्वाद और अनेकान्तवाद है जीवन तो संयम ही है
दरियावसिंह मेहता 'जिज्ञासु' महावीर और गांधी की जीवन दृष्टि : सत्य की शोध
दलसुख मालवणिया १ असंयत जीव का जीना चाहना राग है
आगम झूठे हैं क्या ? आचारांगसूत्र ; क्रमशः
१९६३ १९६१
१७-२० २१-२४
१९८७
१७-२४
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१९५२ १९५६ १९५६
३-६ ५६-५९ ४-७