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श्रमण : अतीत के झरोखे में
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लेख महाकवि स्वयंभू और नारी महाकवि स्वयंभू के काव्य विचार मानवमूल्यों की काव्यकथा-भविसयत्तकहा मानव संस्कृति और महावीर
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मुंनिराम सिंह का उग्रअध्यात्मवाद मूल्यों का संकट और आध्यात्मिकता मैं महावीर को याद क्यों करता हूँ शुभ कामना संस्कृत शब्द और प्राकृत अपभ्रंश समन्वय या सफाई समाज का धर्म साधु समाज और निवृत्ति सिद्धि विनिश्चय और अकलंक स्वयंभू और उनका पउमचरिउ स्वयंभू का कृष्णकाव्य और सूरकाव्य के अध्ययन की समस्याएँ स्वयंभू की गणधर परम्परा
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ई० सन् १९७५ १९७३ १९६८ १९५६ १९६० १९६८ १९६५ १९६३ १९५४ १९७७ १९५२ १९६० १९५१ १९५३ १९७३ १९७९ १९७३
पृष्ठ ३-७ २५-२७ ५-९ २२-२५ २१-२३ १२-२२ २०-२३ ३१-३३ ३१-३३ १८-२० ७-१० २१-२३ ९-१२ ३१-३२ ३-१३ ३३-३५ ३७
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