________________
२७६
श्रमण : अतीत के झरोखे में
Jain Education International
लेख जैनागमों में ज्ञानवाद जैन दृष्टि से चारित्र विकास
जैनधर्म की प्राचीनता तथा इतिहास जैनधर्म दर्शन का स्रोत-साहित्य जैन परम्परा जैन श्रावकाचार
For Private & Personal Use Only
# แs 3 : - * * * * * * * * 3 9 8
Mrrrrrr 9 0 9 » Trm 42
ई० सन् १९५४ १९६४ १९६४ १९७८ १९७९ १९५२ १९७९ १९७९ १९७९ १९७८ १९५१ १९५२ १९६९ १९५४ १९५६ १९६९ १९७१
पृष्ठ ५-९ १७-२३ १३-१८ ३-१६ ३-१४ १३-१७ १६-२२ १६-२३ २१-३२ ३-१३ २७-२९ ९-१४
५-७
जैन सिद्धान्त दो प्रेमियों की यह दीक्षा धर्म की उत्पत्ति और उसका अर्थ धर्म और अधर्म नियुक्तियाँ और नियुक्तिकार निह्नववाद परमाणु पुण्य और पाप
९-१५ ५-१२ ५-७ ३-७
१
www.jainelibrary.org