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श्रमण : अतीत के झरोखे में
डॉ० नन्दलाल जैन द्वारा पूर्व में अंग्रेजी भाषा में लिखित जैन सिस्टम इन नटशैल क हिन्दी रूपान्तर है । इस ग्रन्थ में विद्वान् लेखक ने जैन तंत्र को एकीकृत रूप में प्रस्तुत करने के साथ-साथ जैनधर्म से सम्बन्धित प्रत्येक विषयों का प्रभावी रूप में वर्णन किय है । यह पुस्तक शोधार्थियों और जिज्ञासुओं दोनों के लिये समान रूप से उपयोगी है। ऐसे सुन्दर प्रकाशन के लिये लेखक और प्रकाशक दोनों बधाई के पात्र हैं ।
जिनोत्तम दोहावली रचनाकार- उपाध्याय जिनोत्तमविजय गणि, प्रकाशक- श्री सुशील साहित्य प्रकाशन समिति, जोधपुर, राजस्थान, पृष्ठ १२+९६, मूल्य ११.००, प्रकाशन वर्ष - वि० सं० २०५३ ।
जैन साहित्य के समुन्नायक, तत्त्वदर्शीपूज्य उपाध्याय श्री जिनोत्तमविजय जी द्वारा सत्य, अहिंसा, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह, नैतिकता, मातृभक्ति, पितृभक्ति, धर्म महिमा, समता, दया, मैत्री, विद्या, निर्ग्रन्थ वचन आदि विभिन्न विषयों पर रचित प्रस्तुत कृति को उन्हें आचार्य पद प्राप्त होने के उपलक्ष्य में प्रकाशित किया गया है । इस उत्तम कृति के अध्ययन-मनन से प्राणी निश्चय ही शांति की अनुभूति कर सकता है। ऐसे सुन्दर प्रकाशन के लिये प्रकाशक गण बधाई के पात्र हैं । पुस्तक की साज-सज्ज आकर्षक और मुद्रण त्रुटिरहित है।
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साभार स्वीकार
१. दृष्टांत रत्नाकर लेखक - श्री लक्ष्मीचंद सी० संघवी, प्रकाशकफारवर्ड इण्टरप्राइजेज, २. धूतपापेश्वर बिल्डिंग, मंगलवाडी, २४०, शंकर सेठ रोड, मुम्बई ४००००४, प्रथम संस्करण १९९८, पृष्ठ ४८, मूल्य - १२.०० ।
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२. श्री सुदर्शनमेरुविधान - लेखक- श्री राजमल जी पवैया, संपा०, डॉ० देवेन्द्रकुमार शास्त्री; प्रकाशक - श्री भरत पवैया, ४४, इब्राहिमपुरा, भोपाल १९९८ ई०, पृष्ठ ४+६०; मूल्य - ६.०० ।
३. श्रीतीनलोकविधान
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लेखक, संपादक एवं प्रकाशक, पूर्वोक्त, पृष्ठ
४+७६; मूल्य ८.०० ।
४. जिनखोजा तिनपाइयां - लेखिका, डॉ० साध्वी प्रियदर्शना श्री एवं डॉ० साध्वी सुदर्शना श्री ; प्रकाशक ----> ; प्रकाशनवर्ष वि० सं० २०५३; पृष्ठ १०+१५० ; मूल्य- सदुप्रयोग ।
५. यह है मार्ग ध्यान का लेखक - श्री चन्द्रप्रभसागर; प्रकाशक प्रयागचन्द रजनीश सिंघवी एवं जितयशा फाउंडेशन, ९ सी, एस्प्लनेड ईस्ट, ७०००६९; प्रकाशन वर्ष १९९७ ई०, पृष्ठ ५४, मूल्य - ३.०० ।
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श्री कलकत्ता
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