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श्रमण : अतीत के झरोखे में आचार्यश्री की लेखनी से प्रसूत ये कथायें अत्यन्त प्रभावकारी हैं । आचार्यश्री के सुयोग्य शिष्य श्री प्रकाशमुनि जी 'निर्भय' ने अत्यन्त श्रमपूर्वक इन्हें सम्पादित किया है । पुस्तक की साज-सज्जा अत्यन्त आकर्षण और मुद्रण त्रुटिरहित है । ऐसे सुन्दर प्रकाशन के लिये सम्पादक और प्रकाशक दोनों बधाई के पात्र हैं।
महावीर की साधना के रहस्य : प्रवचनकार : मुनिश्री चन्द्रप्रभसागर, प्रकाशक: श्री जितयशा फाउंडेशन, ९ सी, एस्प्लानेट ईस्ट, रूम न० २८, कलकत्ता ७०००६८, पृष्ठ ६+९४; मूल्य १५.००, प्रकाशन वर्ष-अगस्त १९९७ ।
अब भारत को जगना होगा - प्रवचनकार : मुनिश्री चन्द्रप्रभसागर : प्रकाशक- पूर्वोक्त पृष्ठ, ४+१५५; मूल्य - २०.००; प्रकाशन वर्ष - अक्टूबर १९९७ ।
मुनि श्री चन्द्रप्रभसागर जैन समाज के प्रबुद्ध विचारक, अग्रगण्य लेखक और प्रखर वक्ता हैं । उनके द्वारा समय-समय पर विभिन्न स्थानों पर दिये गये प्रवचनों के अनेक संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं । प्रस्तुत दोनों पुस्तकों में उनके द्वारा जोधपुर में चातुर्मास के अवसर पर दिये गये प्रवचनों का संग्रह है। इनमें विद्वान् वक्ता ने ऐसे समसामयिक प्रश्नों का उत्तर प्रस्तुत किया है जिसकी तलाश प्रायः हर व्यक्ति को दैनिक जीवन में घर और बाहर पड़ती रहती है। पुस्तकें पठनीय और मननीय हैं । ऐसे सुन्दर प्रकाशन के लिये लेखक और प्रकाशक दोनों ही साधुवाद के पात्र हैं ।
अतीत (उपन्यास) लेखक - ब्रह्मचारी विवेक, सम्पादक- डॉ० यशपाल जैन, प्रकाशक - आचार्य श्री विद्यासागर शोध संस्थान समिति, जबलपुर १९९७ ई०, पृष्ठ १४+१५०; मूल्य - ३०.०० ।
ब्रह्मचारी विवेक द्वारा प्रणीत इस लघु उपन्यास में असार संसार का अत्यन्त सरल और सुबोध भाषा में चित्रण है । इसमें जीवन के वैराग्य की सीमा को चरम रूप में प्रदर्शित करते हुए वैराग्य की ओर जाने की प्रेरणा दी गयी है । पुस्तक एक बार हाथ में लेने के पश्चात् उसे खत्म किये बगैर छोड़ने की इच्छा नहीं होती । ऐसी सशक्त कृति के प्रणयन के लिए ब्रह्मचारी जी बधाई के पात्र हैं । पक्की बाइंडिग और प्लास्टिक कवर युक्त पुस्तक का मूल्य लागत से भी कम रखना प्रकाशक की सौहार्दता का परिचायक है । पुस्तक सभी के लिये पठनीय और संग्रहणीय है ।
स्वराज्य और जैन महिलाएँ - लेखिका- डॉ० श्रीमती ज्योति जैन; प्रकाशक- श्री कैलाशचन्द्र जैन स्मृति न्यास, स्टाफ क्वाटर नं० ६, कुन्दकुन्द जैन महाविद्यालय, खतौली २५१२०१ (मुजफ्फरनगर) उत्तरप्रदेश, प्रथम संस्करण १९९७ ई०, पृष्ठ ८+४८; मूल्य-.०० ।
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