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ई० सन् १९९५ १९९५
१९८२ १९९१
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख सकारात्मक अहिंसा की भूमिका सदाचार के शाश्वत मानदण्ड सदाचार के मानदण्ड और जैनधर्म समाधिमरण की अवधारणा की आधुनिक परिप्रेक्ष्य में समीक्षा सम्राट अकबर और जैनधर्म स्याद्वाद और सप्तभंगी : एक चिन्तन स्त्रीमुक्ति, अन्यतैर्थिकमुक्ति एवं सवस्त्रमुक्ति का प्रश्न हरिभद्र की क्रान्तदर्शी दृष्टि-धूर्ताख्यान के सन्दर्भ में हरिभद्र के धर्म दर्शन में क्रान्तिकारी तत्त्व 'सम्बोधप्रकरण' के सन्दर्भ में हरिभद्र के धूर्ताख्यान का मूल स्रोत : एक चिन्तन साधक युगदृष्टा महावीर साधुसंतों की सेवा में सिद्धराज ढढ्ढा है जीवनकला की शोध करें
जैनधर्म हम सँभलें
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३२९ पृष्ठ .६९-८६
१३४-१४९ २२-२७ ९९-१०१ ७१-७६ ३-४४ ११३-१३२ २१-२५ ९-२० २६-२८
१९९७ १९९० १९९७ १९८८ १९८८ १९८८
६-७ ६-७
१९६१ १९५८
३१-३७ २५-२७
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६-७ ११-१२ ९
१९५८ १९५८ १९५८
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