Book Title: Sramana 1998 04
Author(s): Shivprasad
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 348
________________ श्रमण : अतीत के झरोखे में Jain Education International लेख पृष्ठ ई० सन् १९८२ १९७३ १९७१ चिन्तन : सम्यक् जीवन दृष्टि मृत्यु एवं संलेखना षड़ावश्यक में सामायिक हुकुमचंद सिंघई २८-३१ ३२-३९ १६ ' प्रतिज्ञा १९५१ २१-२५ ७-९ MAMmm , १९९० For Private & Personal Use Only ८३-९० ३३-३५ १९९० हेमन्तकुमार जैन भट्टअकलंककृत लघीयस्त्रय : एक दार्शनिक अध्ययन त्रिलोचन पंत मेरे संस्मरण : मालवीय जी त्रिवेणीप्रसाद सिंह मानव व्यक्तित्व का वर्गीकरण ज्ञानचन्द जैन शास्त्रों में वर्णित १८ श्रेणियों के उल्लेख ज्ञानमुनि जी अभिमान बुरा है अहिंसा की लोकप्रियता आचार्य प्रवर : आत्माराम जी महाराज ४१-५० १९७५ १८-२१ www.jainelibrary.org १९६१ १९६४ १९५७ २२-२३ १९-२४ ३२-३४

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