Book Title: Sramana 1998 04
Author(s): Shivprasad
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 344
________________ ३३८ श्रमण : अतीत के झरोखे में Jain Education International अंक For Private & Personal Use Only लेख कल्पना का स्वर्ग या स्वर्ग की कल्पना मा से विश्व बन्धुत्व जैन आगमों में विद्वत् गोष्ठी तीर्थंकर महावीर जन्मना ब्राह्मण या क्षत्रिय नर्क का प्रश्न भारतीय संस्कृति और श्रमण परम्परा युवा-दृष्टिकोण वाल्टेर शुब्रिग की जैनविद्या सेवा श्रमण संस्था और समाज साधु मर्यादा क्या ? कितनी ? साधुओं का शिथिलाचार सौभाग्य मुनि 'कुमुद' आडम्बर प्रिय नहीं धर्म प्रिय बनो आभूषण भार स्वरूप है ध्यान साधना का दिशाबोध पर्वाधन की एक रूपता का प्रश्न सद्विचार हेतु मौलिक प्रक्रिया GmW27. श्री. ई० सन् १९८२ १९८६ १९८४ १९९१ १९८१ १९८९ १९८६ १९८६ १९८७ १९८२ १९६४ १७-२१ २-४ ६-९ ५१-५५ २६-२९ २-९ १७-२० १९-२१ १४-१९ १५-१८ ९-१३ २-४ www.jainelibrary.org १९८५ १९८५ १९८४ १९८५ १९८३ २-४ ११-१४ १४-१५ १०-११ G

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