Book Title: Sramana 1998 04
Author(s): Shivprasad
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 343
________________ Jain Education International "" बुझती हुई चिनगारियाँ मानवतावादी समाज का आधार - अहिंसा सुशीला जैन विद्यालय से माता-पिता का सम्बन्ध आचार्य हरिभद्रसूरि का दार्शनिक दृष्टिकोण लेश्या - एक विश्लेषण 'सूरजचन्द्र 'सत्यप्रेमी' ध्यान - योग की जैन परम्परा नमस्कारमंत्र महावीर का अन्तस्तल वर्धमान और हनुमान सोहनलाल पाटनी सिरोही जिले में जैनधर्म सौभाग्यमल जैन For Private & Personal Use Only लेख www.jainelibrary.org का मौलिक परम अर्थ अपनी परमात्म शक्ति को पहचानो अहिंसा की सार्थकता श्रमण : अतीत के झरोखे में वर्ष ८ ३ ११ v m m २३ २३ १० १२ ३३ ३३ ३५ अंक 2 2 ११ २ ३-४ ov ५ 1 to 10 o ९ १२ १० ६-७ १० २ ई० सन् १९५६ १९५२ १९५९ १९५७ १९७१ १९७२ १९५९ १९५५ १९६१ १९५५ १९८२ १९८१ १९८३ ३३७ पृष्ठ २३-२८ ३५-३७ ७-११ २९-३२ १९-२३ २०-२४ १७-१८ १८- २० १७-१९ २३ ३२-३७ २-६ ८ - १२

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