Book Title: Sramana 1998 04
Author(s): Shivprasad
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi
View full book text
________________
Jain Education International
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख मुनिश्री पुण्यविजय जी के जैसलमेर भण्डार के उद्धार कार्य की रूपरेखा
लखनऊ अभिभाषण © विकास का मुख्य साधन
Emm ~ ~ rr mr
ई० सन् १९५१ १९५१ १९५० १९५० १९४९ १९५३ १९५२ १९६१
- - - Or wrr
३३१ पृष्ठ २८-३८ ३-२८ ११-१३ १३-१८ १३-१५ २४ ५-१० ९-१२
शास्त्र और शस्त्र . शास्त्र रचना का उद्देश्य स्वरूप और पररूप शास्त्र और सामाजिक क्रान्ति सुखलाल मुनि स्वप्न और विचार सुदर्शन मुनि जी भावविभोर श्रद्धांजलि सुदर्शनलाल जैन आचार्य हरिभद्र और धर्मसंग्रहणी
For Private & Personal Use Only
९
१९८३
२०-२१
११-१२
१९६३
९९-१०६
22
.28
www.jainelibrary.org
आहार-विहार में उत्सर्ग अपवाद मार्ग का समन्वय जैन दर्शन में मोक्ष का स्वरूप : भारतीय दर्शनों के परिप्रेक्ष्य में जैन दर्शन में शब्दार्थ सम्बन्ध
१९६९ १९६९ १९८९ १९८३ १९९२
२१-२९ १६-२२ ११-१५ १८-२४ २७-३९
~

Page Navigation
1 ... 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370