Book Title: Sramana 1998 04
Author(s): Shivprasad
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 322
________________ श्रमण : अतीत के झरोखे में अंक ई० सन् पृष्ठ Jain Education International १९९६ ३-१० १९८४ २९-३१ १९८९ १८-२६ For Private & Personal Use Only ३१६ लेख श्यामधर शुक्ल पाणिनीय व्याकरण का सरलीकरण और आचार्य हेमचन्द्र श्यामवृक्ष मौर्य भगवान् महावीर की व्यापक दृष्टि श्रीनारायण दुबे जैन लेखों का सांस्कृतिक अध्ययन श्रीनारायण शास्त्री अंगविज्जा श्रीनारायण सक्सेना अहिंसा की महानता वीरों का श्रृंगार : अहिंसा हमारे पतन का मुख्य कारण : हिंसा श्रीप्रकाश दुबे अरविन्द का अनेकान्त दर्शन कर्म और अनीश्वरवाद गाँधी जी : व्यक्तित्व और नेतृत्व तुलनात्मक दर्शन पर दो दृष्टियाँ पुण्डरीक का दृष्टांत १९७० २८-३२ our vur vf १९६५ १९६५ १९६५ १२-१५ ३-८ १६-१९ www.jainelibrary.org १९६२ १९६३ १९६२ १९६४ १९६४ ६-८ ९-१२ १-३ १७-२१ १२-१४

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