Book Title: Sramana 1998 04
Author(s): Shivprasad
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 325
________________ श्रमण : अतीत के झरोखे में Jain Education International __ ई० सन् १९८७ पृष्ठ ९-१९ १९६१ ३१-३२ ७-८ ७-८ २ ५९-६१ १२-१४ २०-२५ ११-१२ * Mar verm For Private & Personal Use Only ६४-६५ लेख आत्म-अनात्म द्वन्द्वात्मिकी सच्चिदानन्द सात शत्रु सात मित्र सतीश कुमार अधूरा समाजवाद अन्न और संकट अहिंसक शक्तियों का ऐक्य * जैन साधु की भिक्षा विधि दया दान की मान्यता प्रणयी महावीर संसार की हिंसामय परिस्थिति और हम समन्वय आश्रम सर्वोदय और राजनीति साहित्य भवन के निर्माण का शुभारंभ (कु०)सत्य जैन श्रमण (कु०) सत्यभामा यशस्तिलकचम्पू और जैन धर्म १९५९ १९५८ १९५८ १९५८ १९५६ १९६१ १९६३ १९५८ १९५९ १९५९ ६-७ ४ ११-१२ ३३-३६ १७-२० २६-२९ १७-२० २९-३१ २४-२७ १९५२ २३ www.jainelibrary.org १९८४ १५-२८

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