Book Title: Sramana 1998 04
Author(s): Shivprasad
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 323
________________ ३१७ Jain Education International ะ 3 : ई० सन् १९६३ पृष्ठ . १९-२० १९६४ १९६३ १४-२३ ७-८ For Private & Personal Use Only श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख डॉ० भयांणी के व्याख्यान मेरी पंजाब यात्रा स्वामी विवेकानन्द श्रीप्रकाश पाण्डेय आचारांग में अनासक्ति जैन आगम और गुणस्थान सिद्धान्त समयसार के अनुसार आत्मा का कर्तृत्व-अकर्तृत्व एवं भोक्तृत्व-अभोक्तृत्व सूत्रकृतांग में वर्णित दार्शनिक विचार पं० श्रीमलजी म. सा० अहिंसा का व्यावहारिक रूप है अहिंसा की तीन धारायें आचरण या शोधपीठ पाप क्या है ? प्रेमयोगी महावीर श्रमण भगवान् महावीर का दीक्षा दर्शन संस्मरणात्मक श्रद्धांजलि सम्यक् दृष्टिकोण सत्य पारखी दृष्टि १९९१ १९९६ १९९१ १९९० g * ७३-८८ ३-१४ ५७-७० ५७-७६ * * * १९६० १९५८ १९५८ १९६० १९६१ १९६३ १९६३ १९६० ६-७ २८-३१ ३४-३७ ४१-४६ १९-२१ १५-१६ ४४-४८ ४१-४५ २५-२९ www.jainelibrary.org * * * ६-७ ११-१२ ७-८

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