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ई० सन् १९६३
पृष्ठ . १९-२०
१९६४ १९६३
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख डॉ० भयांणी के व्याख्यान मेरी पंजाब यात्रा स्वामी विवेकानन्द श्रीप्रकाश पाण्डेय आचारांग में अनासक्ति जैन आगम और गुणस्थान सिद्धान्त समयसार के अनुसार आत्मा का कर्तृत्व-अकर्तृत्व एवं भोक्तृत्व-अभोक्तृत्व सूत्रकृतांग में वर्णित दार्शनिक विचार पं० श्रीमलजी म. सा०
अहिंसा का व्यावहारिक रूप है अहिंसा की तीन धारायें
आचरण या शोधपीठ पाप क्या है ? प्रेमयोगी महावीर श्रमण भगवान् महावीर का दीक्षा दर्शन संस्मरणात्मक श्रद्धांजलि सम्यक् दृष्टिकोण सत्य पारखी दृष्टि
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७३-८८ ३-१४ ५७-७० ५७-७६
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२८-३१ ३४-३७ ४१-४६ १९-२१ १५-१६ ४४-४८ ४१-४५ २५-२९
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