Book Title: Sramana 1998 04
Author(s): Shivprasad
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 330
________________ श्रमण : अतीत के झरोखे में लख Jain Education International पृष्ठ २०-२९ १-४५ For Private & Personal Use Only अर्धमागधी आगम साहित्य अर्धमागधी आगम साहित्य में समाधिमरण की अवधारणा असली दूकान/नकली दुकान अहिंसा का अर्थ विस्तार, संभावना और सीमा क्षेत्र आगम साहित्य में प्रकीर्णकों का स्थान, महत्त्व, रचना काल एवं रचयिता आचारांगसूत्र : एक विश्लेषण आचार्य हेमचन्द्र : एक युगपुरुष ई० सन् १९९७ १९९५ १९९४ १९८२ १९८० १९९७ १९८७ १९८९ १९९७ १९८१ १९९१ १९९४ १९९४ १९९२ १९९२ १९८३ १९९७ ८०-९३ २०-२१ ३-२१ १४७१५६ १-१९ ३-१५ ६०-७० आत्मा और परमात्मा उच्चैर्नागर शाखा उत्पत्ति स्थान एवं उमास्वाति के जन्मस्थल की पहचान ऋग्वेद में अर्हत् और ऋषभवाची ऋचायें : एक अध्ययन खजुराहो की कला और जैनाचार्यों की समन्वयात्मक एवं सहिष्णु दृष्टि गुणस्थान सिद्धान्त का उद्भव एवं विकास ७-१२ ४-६ ४-६ १-३ ४-६ १० १०-१२ १७-२४ १८५-२०२ १७३-१४ २३-४३ १-२६ www.jainelibrary.org जैन अध्यात्मवाद : आधुनिक संदर्भ में जैन आगमों की मूलभाषा : अर्धमागधी या शौरसेनी १-१७ १-२८

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