Book Title: Sramana 1998 04
Author(s): Shivprasad
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 283
________________ श्रमण : अतीत के झरोखे में สี Jain Education International frry ई० सन् १९६९ १९६० : แ : * For Private & Personal Use Only लेख पुद्गल भारतीय विचार प्रवाह की दो धाराएँ क भाष्य और भाष्यकार महावीर का तप : कर्म महावीर क्षत्रिय पुत्र थे या ब्राह्मणपुत्र ? मृत्युञ्जय माणिक्यनन्दीविरचित परीक्षामुख रूपी और अरूपी शतावधानी रत्नचन्द्र पुस्तकालय शास्त्रों की प्रामाणिकता शिवशर्मसूरिकृत कर्म प्रकृति श्रमण धर्म श्रमण संघ संन्यास का आधार अन्तर्मुखी प्रवृत्ति समता और समन्वय की भावना सम्यकत्त्व की कसौटी सर्वज्ञता : एक चिन्तन स्वप्न : एक मनोवैज्ञानिक विश्लेषण * * * * * Tyri ram or m ar १९५५ १९६४ १९७४ १९५० १९७७ १९६९ १९५१ १९७० १९६४ १९७४ १९७७ १९५१ १९५९ १९५० १९७० १९५२ २७७ पृष्ठ २०-२२ १३-१९ ४-१२ ३७-४१ ३४-३८ १४-१८ २३-२४ ५-७ ३१-३६ ३८-४० ७-१५ ३३-३८ १८-२९ २३-२६ ३९-४४ २८-२९ ३४-३८ ११-१५ www.jainelibrary.org * * * * * *

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