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श्रमण : अतीत के झरोखे में
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३०५ ई० सन् पृष्ठ १९५७ १५-१६ १९८२ . १७-२७
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लेख क्षमापना का आदर्श भारतीय दर्शनों का समन्वयवादी स्थितप्रज्ञ पुरुष मुनि महाप्रभ विजय जी महाराज मानव कुछ तो विचार कर विजयेन्द्र 'दी मील का पत्थर आचार्य विजयेन्द्रसूरि महावीर विहार मीमांसा विजयराज सामुद्रिक विज्ञान
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१४-१६
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विजया जैन महावीर की साधना और सिद्धान्त विद्याभिक्षु अद्भुत दान अपूर्वरक्षा विद्यानन्द मुनि विद्वत् रत्नमाला का एक अमूल्य रत्न
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