________________
Jain Education International
.
ई० सन् १९७४ १९६७ १९६८
पृष्ठ ३२-३५ ३२-३६ ३२-३४
२३८
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख पच्चीसवीं निर्वाण-शताब्दी के आयोजनों में आगम-वाचना भी हो भगवान् महावीर की २५वीं निर्वाणशती कैसे मनायें ? समवायांगसूत्र में विसंगति मुनिश्री नन्दीषेण विजय जैनधर्म का दृष्टिकोण नृपराज शादीलाल जैन भारत जैन महामण्डल के ४५वें अधिवेशन पर अध्यक्षीय भाषण नरेन्द्रकुमार जैन जैन तथा अन्य भारतीय दर्शनों में सर्वज्ञता विचार
१९६३
१९-२१
.
१९८६
२१-२८
For Private & Personal Use Only
.
भगवान महावीर की अहिंसा विश्वशांति का आचार गाँधीवाद समन्तभद्र द्वारा क्षणिकवाद की समीक्षा
१९७९ १९७९ १९६४ १९५४ १९७८ १९७८
३-१३ ३-१० २४-२६ ३७-४० ११-२२ १७-२५
. .
१९५२
.
११-१२
www.jainelibrary.org
नरेन्द्र गुप्त गांधी जी की दृष्टि में अहिंसा का अर्थ नरेशचंद्र जैन भगवान् महावीर और वर्तमान युग
१९५३
३५-३६