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वर्ष
____ अंक
ई० सन्
२५१ पृष्ठ ।
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख फूलचन्द जैन 'प्रेमी'
आचारांग के शस्त्र परिज्ञा अध्ययन में प्रतिपादित षट् जीवनिकाय सम्बन्धी अहिंसा ३९ के कुरल काव्य
मूलाचार में मुनि की आहार-चर्या फूलचन्द्र सिद्धान्तशास्त्री क्या धन-सम्पत्ति आदि कर्म के फल हैं जैनधर्म और वर्ण व्यवस्था
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जैनधर्म में एकान्त नियतिवाद और सम्यक् नियति का भेद जैन पुराण साहित्य संस्कृति का अर्थ फूलचंदजी 'श्रमण' धर्म पुरुष और कर्म पुरुष पर्युषण पर्व की आराधना भद्रबाहु का कालमान शास्त्रीय पैमाने श्रमण भगवान् महावीर की शिष्य संपदा
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२१-२२ १४-१६ ६-८ २५-२८
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