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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक आचार्य आनन्द ऋषि मुनि महेन्द्रकुमार 'प्रथम' डॉ० श्रीरंजन सूरिदेव डॉ० प्रतिभा जैन आचार्य आनन्द ऋषि कस्तूरीनाथ गोस्वामी डॉ० रतनचन्द्र जैन मुनि महेन्द्रकुमार जी 'प्रथम' गणेशप्रसाद जैन श्री हर्षचन्द्र डॉ० प्रेमसुमन जैन मुनि महेन्द्रकुमार डॉ० विनोद कुमार तिवारी श्री के० रिषभचन्द्र श्री राजदेव दुबे युवाचार्य महाप्रज्ञ मुनि ललितप्रभ सागर गणेशप्रसाद जैन
१२-१६ १७-२१ २-९ ११-१२ १३-१६ २-८ १०-१३ १४-२४
लेख आत्मबोध का क्षण नन्दीसेन जैन दृष्टि में चारित्र अनेकान्तवाद सदाचार का महत्त्व वर्तमान अशान्ति का एक मात्र समाधान अहिंसा बन्ध के कार्य में मिथ्यात्व और कषाय की भूमिकाएँ अभी तो सबेरा ही है ? वैराग्यमूलक एक ऐतिहासिक प्रेमकाव्य : तरंगवती जैनत्व का गौरव और हम जैन भौगोलिक स्थानों की पहचान आनन्द जैन दर्शन में अजीव तत्त्व का स्थान जैन विद्या के अध्ययन एवं संशोधन केन्द्रों की स्थापना चरित्र निर्माण में आचार-पद्धति का योगदान. अहिंसा की समस्याएँ जैनधर्म में भक्ति का स्वरूप समाधिमरण
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ई० सन् १९८३ १९८३ १९८३ १९८३ १९८३ १९८३ १९८३ १९८३ १९८३ १९८३ १९८३ १९८३ १९८३ १९८३ १९८३ १९८३ १९८३ १९८३
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६-११ १२-१७ १८-२१ २२-२५ २६-३२ २-४ ५-७ ९-१३
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