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श्रमण : अतीत के झरोखे में
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ई० सन् १९५९ १९६० १९६७ १९६० १९६० १९८८ १९६४ १९६१
पृष्ठ ३२-३४ २१-२२ २४-२८ ६५-६९ २३-२४
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लेख जैन साहित्य की प्रतिष्ठा बदलते सामाजिक मूल्य और हमारा चिन्तन के भारतीय विश्वविद्यालयों में जैन शोध-कार्य
महावीर के समकालीन आचार्य वर्णी जी के स्मारक का प्रश्न ? संवत्सरी सोमदेवकृत यशस्तिलक सोमदेवसूरि और जैनाभिमत वर्ण-व्यवस्था चन्दनमल चांद युवक के प्रति महोपाध्याय चन्द्रप्रभसागर अष्टलक्षी : संसार का एक अद्भुत ग्रन्थ आत्मोपलब्धि की कला : ध्यान वृत्ति : बोध और विरोध क्षमा-वाणी चन्द्रलेखा पंत जैन दर्शन में नारी मुक्ति
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