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वर्ष ३८ ३८
अंक १० ११
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख
लेखक जैन एवं बौद्ध दर्शन .
सुभाषमुनि 'सुमन' हिंसक और अहिंसक युद्ध
अशोककुमार सिंह जैन धर्म में निर्जरा तप
डॉ० मुकुलराज मेहता आत्म-अनात्म द्वन्द्वात्मिकी
संन्यासी राम आचारांग में समाज और संस्कृति
स्व० डॉ० परमेष्ठीदास जैन आचारांग का दार्शनिक पक्ष
स्व० डॉ० परमेष्ठीदास जैन उत्तर भारत की सामाजिक संरचना - जैन आगम साहित्य के सन्दर्भ में उमेशचन्द्र सिंह मरण के विविध प्रकार
रज्जन कुमार महावीर का अपरिग्रह सिद्धान्त : सामाजिक न्याय का अमोघमन्त्र डॉ० कमलचन्द सोगाणी जैन तत्त्व विद्या में पुद्गल की अवधारणा
अम्बिकादत्त शर्मा 9 महावीर और गाँधी की जीवन दृष्टि : सत्य की शोध दरियाव सिंह मेहता 'जिज्ञासु' आचारांग सूत्र : एक विश्लेषण
डॉ० सागरमल जैन गुजरात में जैनधर्म
स्व० मुनिश्री जिनविजय जी तत्त्व सूत्र
संन्यासी राम हरिभद्र के धर्म-दर्शन में क्रान्तिकारी तत्त्व : सम्बोध प्रकरण के सन्दर्भ में
डॉ० सागरमल जैन हरिभद्र की क्रान्तदर्शी दृष्टि, धूर्ताख्यान के सन्दर्भ में डॉ० सागरमल जैन
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