SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 145
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १४१ Jain Education International वर्ष ३८ ३८ अंक १० ११ ३८ ११ श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख लेखक जैन एवं बौद्ध दर्शन . सुभाषमुनि 'सुमन' हिंसक और अहिंसक युद्ध अशोककुमार सिंह जैन धर्म में निर्जरा तप डॉ० मुकुलराज मेहता आत्म-अनात्म द्वन्द्वात्मिकी संन्यासी राम आचारांग में समाज और संस्कृति स्व० डॉ० परमेष्ठीदास जैन आचारांग का दार्शनिक पक्ष स्व० डॉ० परमेष्ठीदास जैन उत्तर भारत की सामाजिक संरचना - जैन आगम साहित्य के सन्दर्भ में उमेशचन्द्र सिंह मरण के विविध प्रकार रज्जन कुमार महावीर का अपरिग्रह सिद्धान्त : सामाजिक न्याय का अमोघमन्त्र डॉ० कमलचन्द सोगाणी जैन तत्त्व विद्या में पुद्गल की अवधारणा अम्बिकादत्त शर्मा 9 महावीर और गाँधी की जीवन दृष्टि : सत्य की शोध दरियाव सिंह मेहता 'जिज्ञासु' आचारांग सूत्र : एक विश्लेषण डॉ० सागरमल जैन गुजरात में जैनधर्म स्व० मुनिश्री जिनविजय जी तत्त्व सूत्र संन्यासी राम हरिभद्र के धर्म-दर्शन में क्रान्तिकारी तत्त्व : सम्बोध प्रकरण के सन्दर्भ में डॉ० सागरमल जैन हरिभद्र की क्रान्तदर्शी दृष्टि, धूर्ताख्यान के सन्दर्भ में डॉ० सागरमल जैन पृष्ठ ६-१७ १-३ ४-८ ९-१९ २०-३२ १-११ १२-२४ २५-३१ ३८ ३८ ३८ १२ १२ १२ For Private & Personal Use Only ई० सन् १९८७ १९८७ १९८७ १९८७ १९८७ १९८७ १९८७ १९८७ १९८७ १९८७ १९८७ १९८७ १९८८ १९८८ १ ३९ ३९ ३९ ३९ ३९ u al. ° ° ६-१५ १७-२४ १-१९ १-३९ १-८ ३ www.jainelibrary.org ३९ ३९ ४ ४ १९८८ १९८८ ९-२० २१-२५
SR No.525034
Book TitleSramana 1998 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1998
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy