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________________ १४२ Jain Education International अंक ४ ३९ ३९ For Private & Personal Use Only श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख लेखक हरिभद्र के धूर्ताख्यान का मूल स्रोत : एक चिन्तन डॉ० सागरमल जैन प्रलय से एकलय की ओर मुनि राजेन्द्र कुमार रत्नेश जगत सत्य या मिथ्या कन्हैया लाल सरावगी समाधिमरण का स्वरूप रज्जन कुमार जैन एवं बौद्ध धर्मों के वैदिक स्वरूप डॉ० राजेन्द्र प्रसाद कश्यप राजस्थानी एवं हिन्दी जैन साहित्य श्री भंवरलाल नाहटा जैनधर्म में समाधिमरण की अवधारणा रज्जन कुमार प्राचीन भारतीय सैन्य विज्ञान एवं युद्धनीति इन्द्रेशचन्द्र सिंह हिन्दू तथा जैन राजनैतिक आदर्शों का समीक्षात्मक अध्ययन कु० प्रतिभा जैन पश्चाताप भँवरलाल नाहटा जैनधर्म का एक विलुप्त सम्प्रदाय : यापनीय (क्रमश:) प्रो० सागरमल जैन आचार्य अमितगति : व्यक्तिव एवं कृतित्व डॉ० कुसुम जैन जैन तर्कशास्त्र के सप्तभंगी नय की आगमिक व्याख्या ____डॉ० भिखारीराम यादव जैन साहित्य में कृष्ण कथा श्रीमती रीता सिंह जैन धर्म का एक विलुप्त सम्प्रदाय : यापनीय प्रो० सागरमल जैन पश्चाताप : एक विवेचन श्री भंवरलाल नाहटा भावात्मक एकता : प्रकृति और जीवन का सत्य डॉ० नरेन्द्र भानावत 1 x sooow wouvaror or or are a ई० सन् १९८८ १९८८ १९८८ १९८८ १९८८ १९८८ १९८८ १९८८ १९८८ १९८८ १९८८ १९८८ १९८८ १९८८ १९८८ १९८८ १९८८ पृष्ठ २६-२८ २-४ ५-११ १२-१७ १८-२३ २-४ ३-८ ९-१७ १८-२२ २३-२४ १-१६ १७-२३ १-२६ २७-३२ १-१८ २२-२३ २५-२८ ३९ www.jainelibrary.org
SR No.525034
Book TitleSramana 1998 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1998
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size10 MB
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