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________________ श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री हजारीमल बांठिया वर्ष अंक Jain Education International ई० सन् १९८८ पृष्ठ १-७ ३९ ov ३९ & g g • For Private & Personal Use Only ४० लेख पुरातत्त्वाचार्य पद्मश्री स्व० मुनि जिनविजय जी आचारांग के शस्त्रपरिज्ञा अध्ययन में प्रतिपादितषड्जीवनिकाय सम्बन्धी अहिंसा काशी के कतिपय ऐतिहासिक तथ्य अन्तर-यात्रा पाण्डवचरित्र का तुलनात्मक अध्ययन धम्मपद और उत्तराध्ययन का निरोधवादी दृष्टिकोण हरिभद्रसूरि का समय-निर्णय (क्रमश:) हरिभद्रसूरि का समय-निर्णय अष्टलक्षी : संसार का एक अद्भुत ग्रंथ अनेकान्तदर्शन जैन दर्शन और आधुनिक विज्ञान भावडारगच्छ का संक्षिप्त इतिहास जैन धर्म मानवतावादी दृष्टिकोण : एक मूल्यांकन आनन्दघन जी खरतरगच्छ में दीक्षित थे पुरानी हिन्दी (मरुगूर्जर) के प्राचीनतम कवि धनपाल जैन लेखों का सांस्कृतिक अध्ययन ४०. डॉ० फूलचन्द जैन - श्री अमृतलाल शास्त्री मुनि राजेन्द्र कुमार 'रत्नेश कल्याणी देवी जायसवाल डॉ० महेन्द्रनाथ सिंह स्व० मुनिश्री जिनविजयजी स्व० मुनिश्री जिनविजयजी महोपाध्याय चन्द्रप्रभ सागर मुनिश्री नगराज जी डॉ० मुकुलराज मेहता डॉ० शिव प्रसाद डॉ. ललितकिशोरलाल श्रीवास्तव श्री भंवरलाल नाहटा डॉ० शितिकण्ठ मिश्र श्री नारायण दुबे ४० १९८८ १९८८ १९८८ १९८८ १९८८ १९८८ १९८८ १९८९ १९८९ १९८९ १९८९ १९८९ १९८९ १९८९ १९८९ ८-१५ १६-१८ १९-२१ २२-२७ २८-२९ १-३२ १-३० २-८ ९-१० ११-१४ १५-३३ ३४-४५ २-१२ १३-१७ १८-२६ ४० or o० WWW WWW०० ४० ३ ४० ४० ४० ४० ४ ४ www.jainelibrary.org
SR No.525034
Book TitleSramana 1998 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1998
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size10 MB
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