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श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेख
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ई० सन् १९६८ १९५८ १९६०
पृष्ठ ६-१८ १७-२० ७-१२
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१९८७ १९८३
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समराइच्चकहा का अविकल गुर्जरानुवाद हम अनेकान्तवादी हैं या एकान्तवादी ? , हम दूसरों को दूसरों के ही दृष्टिकोण से समझें कस्तूरीनाथ गोस्वामी आहार दर्शन वर्तमान अशान्ति का एकमात्र समाधान अहिंसा कस्तूरीलाल जैन संयम और त्याग की मूर्ति काका कालेलकर
अद्वेष दर्शन हैं अहिंसा की परिणति-समन्वय और सत्याग्रह
अहिंसा की साधना अहिंसा के तीन क्षेत्र-क्रमशः
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११-१२
१९६३
६७-७१
१९६४
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१२-१४ १८-२१ ११-१३ १६-१९ १६-१७ ३४-३८ ३१-३२
१९५० १९६४ १९६४ १९६० १९४९ १९५१
अहिंसा-शोधपीठ तर्क और भावना धर्म के स्थान पर संस्कृति
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