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श्रमण : अतीत के झरोखे में
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ई० सन् १९७५ १९७५ १९७५ १९७५ १९६७ १९९२ १९९० १९८३ १९६५
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न क्या रावण के दस मुख थे? क्षेत्रज्ञ शब्द का स्वीकार्य प्राचीनतम अर्धमागधी रूप क्षेत्रज्ञ शब्द के विविध रूपों की कथा और उसका अर्धमागधी रूपान्तर जैन विद्या के अध्ययन एवं संशोधन केन्द्रों की स्थापना पउमचरियं के कुछ भौगोलिक स्थल पउमचरियं की अवान्तर कथाओं में भौगोलिक सामाग्री पउमचरियं : संक्षिप्त कथावस्तु (क्रमश:)
२०३ पृष्ठ १०-११ १९-२१ १९-२२ २१-२५ २२-२४ ४१-४४ ४९-५६ २२-२५ १७-२१ ३-१७ ८-११ २२-२७ २६-३० ३-८ २-५ ३-८ ३-८
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पउमचरियं में अनार्य जातियाँ पउमसिरीचरिउ के मूल स्त्रोत पउमचरियं में वर्णित राम की वनयात्रा -क्रमश: