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श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेख
लेखक
पूर्णिमागच्छ-प्रधान शाखा अपरनाम ढंढेरिया शाखा का संक्षिप्त इतिहास डॉ० शिवप्रसाद जैन दार्शनिक साहित्य में ईश्वरवाद की समालोचना आत्मोपलब्धि की कला-ध्यान आचार्य हरिभद्र और उनका योग
डॉ० ईश्वरदयाल जैन कृत "जैन निर्वाण परम्परा और परिवृत" लेख में 'आत्मा की माप जोख' शीर्षक के अन्तर्गत उठाये गये प्रश्नों के उत्तर पल्लवनरेश महेन्द्रवर्मन "प्रथम" कृत मत्तविलास प्रहसन में वर्णित धर्म और समाज सार्धपूर्णिमागच्छ का इतिहास
आचार्य हरिभद्र और उनका साहित्य
षड्जीवनिकाय में त्रस एवं स्थावर के वर्गीकरण की समस्या
पूर्णिमापक्ष भीमपल्लीयाशाखा का इतिहास वसन्तविलास महाकाव्य का काव्य-सौन्दर्य महायान सम्प्रदाय की समन्वयात्मक दृष्टि : भागवद्गीता और जैनधर्म के परिप्रेक्ष्य में
श्रीमती मंजुला भट्टाचार्या
महोपाध्याय मुनि चन्द्रप्रभसागर डॉ० कमल जैन
श्री पुखराज भण्डरी
दिनेशचन्द्र चौबीसा
डॉ० शिवप्रसाद
डॉ० कमल जैन डॉ० सागरमल जैन
डॉ० शिवप्रसाद
डॉ० केशवप्रसाद गुप्त
डॉ० सागरमल जैन
वर्ष
४३
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४४
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अंक
१०-१२
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१-३
१-३
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४-६
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७-९
ई० सन्
१९९२
१९९२
१९९३
१९९३
१९९३
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१९९३
१९९३
१९९३
१९९३
१९९३
१९९३
१५१
पृष्ठ
४९-६६
६७-६९
१-७
८-२७
२८-३४
३५-४१
४२-५९
१-१२
१३-२१
२२-३५
३६-५८
१-१०